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आशूरा के दिन रोज़ा कौन रखता है?

  • Categories Wilayat
  • Tags Belief, Deviation, Guidance, Muharram, आशूरा के दिन रोज़ा कौन रखता है?, इमाम सादिक़ (अ.स.), इमाम हुसैन (अ.स.), बनी उमय्या, शैख़ तूसी,

Reading Time: 2 minutesआशूरा का दिन वह दिन है जब इमाम हुसैन (अ.स.) को शहीद किया गया और रसूलुल्लाह (स.अ.व.अ) की औलाद को शदीद तकलीफ़ों और ग़मों का सामना करना पड़ा। लेकिन अफ़सोस कि इस दिन को ग़म और मातम का दिन मानने के बजाय, शिया दुश्मन लोग इसे ख़ुशी और जश्न का दिन समझते हैं। इसी वजह…

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आशूरा के दिन दुनियावी कामों में मशगूल रहने की सज़ा

  • Categories Wilayat
  • Tags Deviation, Guidance, Imam Mahdi (atfs), Muharram, अबा अब्दिल्लाह अल-हुसैन (अ.स.), अहलुल बैत (अ.स.), आशूरा, इमाम मेहदी (अ.ज.फ.श.), इमाम रज़ा (अ.स.),

Reading Time: 2 minutesइमाम रज़ा (अ.स.) ने ख़बरदार किया: “जो शख़्स आशूरा के दिन अपनी हाजतों को मांगना छोड़ दे, अल्लाह तआला उसकी दुनिया और आख़िरत की हाजतों को पूरा फरमा देगा। जिसके लिए आशूरा का दिन मुसीबत, ग़म और मातम का दिन हो, अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल क़ियामत के दिन को उसके लिए खुशी और राहत का…

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मुहर्रम – ग़म का महीना या खुशी का?

  • Categories Wilayat
  • Tags Ahlul Bait (a), Guidance, Muharram, इमाम अली इब्ने मूसा अल-रज़ा (अ.स.), मुहर्रम,

Reading Time: < 1 minuteइमाम अली इब्ने मूसा अल-रज़ा (अ.स.) ने फ़रमाया:“मुहर्रम वह महीना था जिसमें जाहिलियत के दौर के अरब खून बहाना हराम समझते थे, लेकिन इसी महीने में हमारा खून बहाया गया, हमारी हुरमत को पामाल किया गया, हमारे बच्चों और औरतों को क़ैद किया गया, हमारे ख़ैमो को जलाया गया और जो कुछ उनमें था उसे…

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हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) – नूर-ए-दरख़्शाँ: पाकीज़ा तख़्लीक़ और रूहानी दर्जा

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  • Tags Ahlul Bait (a), Guidance, Holy Quran, Knowledge, Lady Fatima, इमाम सादिक़, रसूल-ए-अकरम, हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा),

Reading Time: 4 minutesहज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सलाम अल्लाह अलैहा) की तख़्लीक़ एक बेमिसाल वाक़िया है, जो उनकी अज़मत और पाकीज़गी को उजागर करता है। यह रिवायत शिया और बक़री (अहले सुन्नत) दोनों मक़ातिब-ए-फ़िक्र में नक़्ल की गई है, और सनद के एतिबार से इतनी मोअतबर है कि इस पर फ़तवा दिया जा सकता है। इमाम जाफ़र सादिक़ (अलैहिस्सलाम)…

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हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) – नूर-ए-दरख़्शाँ: अज़मत और मर्तबा

  • Categories हिन्दी
  • Tags Belief, Guidance, Holy Quran, Knowledge, हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा), हज़रत रसूल-ए-ख़ुदा,

Reading Time: 3 minutesतमाम कायनात अल्लाह तआला की मिल्कियत है, और वह जो चाहता है करता है। उसकी ताक़त और इख़्तियार को कोई कम नहीं कर सकता। लेकिन अहम बात यह है कि अल्लाह ने मासूम इमामों (अलैहिमुस्सलाम) को अपनी तमाम नेमतों और बरकतों का वसीला मुक़र्रर किया है। इसी बुनियाद पर, मासूम इमाम (अलैहिमुस्सलाम) कायनात की किसी…

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The Mastership of Ameerul Momineen – Ali ibn Abi Talib (peace be upon him)

THE STRONG ROPE

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