मुहर्रम – ग़म का महीना या खुशी का?
Reading Time: < 1 minuteइमाम अली इब्ने मूसा अल-रज़ा (अ.स.) ने फ़रमाया:“मुहर्रम वह महीना था जिसमें जाहिलियत के दौर के अरब खून बहाना हराम समझते थे, लेकिन इसी महीने में हमारा खून बहाया गया, हमारी हुरमत को पामाल किया गया, हमारे बच्चों और औरतों को क़ैद किया गया, हमारे ख़ैमो को जलाया गया और जो कुछ उनमें था उसे…